एक नया धर्म “अत्याचार धर्म” जन्मा है
जिसके प्रवर्तक, प्रचारक, संचालक और समर्थक
सब स्व-परिभाषित स्वयंभू जमाती / धर्मरक्षक / सुसंदेशक आदि
कहलाना चाहते हैं
किन्तु
वे केवल मानवता की हत्या
के घोर निकृष्ठ कर्म के अतिरिक्त
शेष कुछ भी नहीं कर पाते….!!!